...

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अंदाजा
हर एक दिन अहम है 
इससे अंदाजा न लगाना हालात का

ये तो बस कुछ पन्ने है
अभी तो  लिखना बाकी है पूरी किताब का

आदते बदलो गे पन्ने बदलने लगेगे
लिखने का तरिका बदल जाएगा जनाब का

कुछ पन्ने लिख दिये गलत तो क्या हुआ
ये भी तो हिस्सा है कहानी की शरूवात का

लिखे शब्द ही मायने रखेगे
कोई मतलब नही बनता कागज की जात का

किताब छोटी रह जाए तो कोई गम नही होगा
अगर लिख दिया कुछ पार औकात का

कल्पना की स्याही से हकिकत लिखते रहो
किताब को भी अनुभव होगा परिजात का।