...

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रोया तन्हाई में
आसमाँ से देखा तुझको
तू प्यासी लगी थी मुझको,
बनते बनते बादल बन जाऊं

आग ही है आग तुझमें,
म बुझा दूँ उसको झट से,
बूंद बून्द बनके मैं गिर जाऊं

राहगीरों ने ये कहा था,
क्या सुलगता सा समा था
है तड़पती तू वहां, बस
मेरी याद में

ना देखा किसी ने रोया तन्हाई में
आंखे बरसी मेरी थी भरी बरसात में ।।
ओ तेरी चाहत ने मुझे ऐसे काबू किया
बांध पाया ना चाँद मुझे उस हालात में

है तड़प मुझमे भी जाना
देख तुमने क्यो ना जाना,
कैसे जीऊं तेरे बिन मैं, जो बना तेरा दीवाना

जिंदगी बंजर हुई थी,
तन्हाई खंजर हुई थी
तय हुआ मरना तेरे बिन, देख ले सारा जमाना

दर्द देता है ये जमाना
पास आओ अब तो जाना
तू ही तू दिखती है मुझको,
हर रात में

ना देखा किसी ने रोया तन्हाई में
आंखे बरसी मेरी थी भरी बरसात में ।।
ओ तेरी चाहत ने मुझे ऐसे काबू किया
बांध पाया ना चाँद मुझे उस हालात में

© SK
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