रोया तन्हाई में
आसमाँ से देखा तुझको
तू प्यासी लगी थी मुझको,
बनते बनते बादल बन जाऊं
आग ही है आग तुझमें,
म बुझा दूँ उसको झट से,
बूंद बून्द बनके मैं गिर जाऊं
राहगीरों ने ये कहा था,
क्या सुलगता सा समा था
है तड़पती तू वहां, बस
मेरी याद में
ना देखा किसी ने रोया तन्हाई में
आंखे बरसी मेरी थी भरी बरसात में ।।
ओ तेरी चाहत ने...
तू प्यासी लगी थी मुझको,
बनते बनते बादल बन जाऊं
आग ही है आग तुझमें,
म बुझा दूँ उसको झट से,
बूंद बून्द बनके मैं गिर जाऊं
राहगीरों ने ये कहा था,
क्या सुलगता सा समा था
है तड़पती तू वहां, बस
मेरी याद में
ना देखा किसी ने रोया तन्हाई में
आंखे बरसी मेरी थी भरी बरसात में ।।
ओ तेरी चाहत ने...