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अहंकार का अंतिम संस्कार करो
कल एक प्रियजन का अंतिम संस्कार हुआ। उनके लिए खत्म ये संसार हुआ।

पंडित ने मंत्र पढ़े, परिवार को समझाया। रिश्ते, धन-दौलत, सब है माया।

जो दुनिया में आया है, उसे एक दिन जाना होगा। आगे का सफर अकेला निभाना होगा।

दुनिया की सबसे बड़ी हस्तियां, एक दिन रहेंगी सिर्फ अस्थियां।

खैर, श्मशान घाट से घर आए: नहा धो कर चाय-बिस्कुट खाए।

काफी देर तक सोच में डूबी रही कि क्या झूठ और क्या सही।

शरीर को हम इतनी अहमियत देते हैं, घड़ी घड़ी सेल्फी लेते हैं।

एक दिन सिर्फ वही फोटो लोग मांगेंगे, जिस पर चौथे के दिन माला टांगेंगे।

आपकी आत्मा की शांति के लिए पाठ पढ़ेंगे, वैसे आपस में हम रोज लड़ेंगे।

मेरठ वाले मामाजी ने मैसेज फॉरवर्ड किया, जेएनयू वाले भांजे ने जवाब दिया।

'आप ऐसी पार्टी को वोट कैसे दे सकते हो?'

'तुम अपनी फालतू बातें अपने पास ही रखो'। कोई गुस्से में ग्रुप छोड़ देता है, इस बात पर रिश्ता तोड़ देता है।

सोसायटी वाट्सएप ग्रुप में ड्रामा हो रहा है। कोई दो सौ रुपए देने के लिए रो रहा है।

ग्राउंड फ्लोर वाले अंकल बोले, मैं लिफ्ट का उपयोग नहीं करता, मरम्मत के पैसे क्यों भरता?

वैसे अब धन की उन्हें कोई कमी नहीं, मगर

पुरानी आदतें गई नहीं। कॉरपोरेटर गार्डन में लाइब्रेरी बनाना चाहता है, हमारा टैक्स वो तड़का लगा के खाता है।

जहां हम टहलने के लिए आते हैं; जगह. खुली

रहे, यही हम चाहते हैं।

फिर भी जेब गरम कर ही ली, घास कुचल कर ईंट डल ही गई।

टीवी पर चार नेता चिल्ला रहे हैं; वॉल्यूम कम

कर, कान फटे जा रहे हैं।

सब हवा में बातें कर रहे हैं, सब्जियों के भाव बढ़ रहे हैं।

कहते थे मुंबई को शंघाई बनाएंगे, उस बहाने

एमएलए टूर पर जाएंगे।

यहां लोकल में आदमी चढ़ नहीं पाता, धक्का-मुक्की में दम घुट जाता।

लो, चेहरे पर ये क्रीम लगाओ, समोसे पकौड़े एयर-फ्राई करो।

रोज जिम में एक घंटा बिताओ, सूप-सलाद का भोजन खाओ।

फिर भी बुढ़ापा तो आएगा, झुर्रियों का जाल बिछाएगा।

एक दिन फोटो पर माला लगाएंगे, दिवंगत आत्मा के गुण गाएंगे।

क्या वो आत्मा सच्ची थी या कमर्मों में कच्ची थी?

धन-दौलत के पीछे भागी, लेकिन सद्बुद्धि ना जागी।

बहुत लोगों को कष्ट पहुंचाया, मरते दम तक न पछताया।

चित्रगुप्त के बही खाते में, ये अकाउंट तो है घाटे में।

जो पढ़ रहे हैं गौर फरमाएं, इस रास्ते पर ना वो जाएं।

निस्वार्थ, नियमित, नम्र आचार; याद रहेगा सिर्फ वो प्यार।

बाकी सब रह जाएगा, रेत का महल ढह जाएगा

पंडित जी प्रार्थना करवाएंगे, कि आप अगला जन्म अच्छा पाएंगे।

पर वो किसी के हाथ में नहीं। जो करम आपके साथ वही।

अगले सफर में काम आएंगे। उसी के फल आप पाएंगे।

अहंकार का अंतिम संस्कार करो। मीठी बातें दो-चार करो। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

© लब्ज के दो शब्द