"चाह नई शुरुआत की",,,
मैं क्यों ग़मो के गर्त में गिरती जा रही हु,,
क्यों नहीं इन अंधेरों से बाहर निकल पा रही हु,,
मेरे किस्मत में ही नहीं खुश होना,,
या मैं ही नहीं खुश होना चाह रही हु,,
अपनी चाहतों से अंजान बस चलती जा रही हु,,...
क्यों नहीं इन अंधेरों से बाहर निकल पा रही हु,,
मेरे किस्मत में ही नहीं खुश होना,,
या मैं ही नहीं खुश होना चाह रही हु,,
अपनी चाहतों से अंजान बस चलती जा रही हु,,...