सीताराम
धर्म, कर्म, प्रेम है मेरे तो सिर्फ राम है
तुम होंगे दशानन रावण मेरे राम सिर्फ एक है
तप, माया, बल है मगर तुझमे छल है
तु मुर्ख अज्ञानी रावण तु आज ना मेरा कल है
मै जनक नन्दनी...
तुम होंगे दशानन रावण मेरे राम सिर्फ एक है
तप, माया, बल है मगर तुझमे छल है
तु मुर्ख अज्ञानी रावण तु आज ना मेरा कल है
मै जनक नन्दनी...