...

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सीताराम
धर्म, कर्म, प्रेम है मेरे तो सिर्फ राम है
तुम होंगे दशानन रावण मेरे राम सिर्फ एक है
तप, माया, बल है मगर तुझमे छल है
तु मुर्ख अज्ञानी रावण तु आज ना मेरा कल है
मै जनक नन्दनी सिया तुझे ना कभी अपनाऊगी
राघव मेरे और मै राघव की मै उनका नाम जपते-जपते मर जाऊगी
राम अर्थ है, वेद है , वेदो मे सर्वश्रेष्ठ है
शंक है, गदा है, सुदर्शन उनके हाथ मे
हे! रावण धर्म, कर्म, प्रेम है मेरे तो सिर्फ राम है
तुम होंगे दशानन रावण मेरे राम सिर्फ एक है
© miraan ruth