...

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शाम एक कविता है...!!
शाम एक कविता है,
गगन पर सिंदूरी कलश छलकाती हुई...!

सजाकर धरा के मुख पर
रक्तिम सी आभा,
दूर क्षितिज पर सूर्य - धरा का
मिलन दर्शाती हुई...!

समेटकर स्वयं में
खग विहग वृंद का कलशोर,
खुशी संगीतमय...