...

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रूठे रूठे पिया
हुई मुझसे खता गलती अपनी मान ली
तू भी अब गुस्सा छोड़ के बात मुझसे करो ना

तू जो रूठ जाता लगता सारा जहाँ मुझसे रूठ गया
दिल मेरा कांच की तरह चूर चूर हो गया

तुमको पता है तेरा ऐसा करना अंदर तक मुझे तोड़ देता
सुध बुध खोके अपनी पागल सी हो जाती

छोटी सी बात पे ऐसा कोई करता है क्या
जो तुमको चाहे उसको सताना ये अच्छी बात हैं क्या

हुई आँख नम और दिल भर आया
वो साथी तू मुझे बहुत याद आ रहा

जानूँ ना मैं तो जानूँ ना रूठे रूठे पिया को मनाना
तू ही मुझे प्रीत की रीत अब तो सीखा जा

कजरा मेरा बन गया मेरी आँख का पानी
बैरी सैंया तूने मेरी तड़प ना जानी

प्यार तेरा एक परछाई लगता है
लाख कोशिश करूँ हाथ नहीँ मेरे आता है

गर मैं जो रुठ जाऊँ मुझे ढूंढते रह जाओ गे
सारी उम्र पुकारो गे तो भी लौट के ना आऊंगी