...

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पापा बस अब आराम करो
पापा अब एक काम करो
जिम्मेदारी मेरे नाम करो

इक ख्वाहिश रह गई कहने की
पापा बस अब आराम करो

पलकों में जो ख्वाब जलाए
अपने लिए कभी जी न पाए
देखी घिसी लकीरें हाथों में
अब तो जीवन सोपान करो

फिर ख्वाहिश रह गई कहने की
पापा बस अब आराम करो

कंधे तेरे बेटे के चौड़े हो गए
जिद्द भी तितली भौंरे हो गए
सुबह करो अब सैर सपाटा
शाम ये दोस्तो के नाम करो

फिर ख्वाहिश रह गई कहने की
पापा बस अब आराम करो

कश्ती की पतवार तुम्ही थे
हम सब के संसार तुम्ही थे
फाड़ के सीना ख्वाबों का
फिर से हमारा ध्यान धरो

बस ख्वाहिश रह गई कहने की
पापा बस अब आराम करो
© manish (मंज़र)