...

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जिन्दगी
दो लफ्ज क्या लिखूँ जिन्दगी मे
इम्तहान के सफर मे
साथ दिया मेरा मेरी माँ ने
इस जिन्दगी मे

भक्त था मैं अपनी माँ का
खुदा को क्या जानू
जिसने दी मुझे ये जिन्दगी
उसे कैसे ना जानू

तेरे लिए बोलने को मेरे पास
कोई लफ्ज नहीं
बोलने को बहुत चाहता हूँ
पर शब्द नहीं

है मुझे उमीद की तू फिर मिलेगी
मुझे ऐ जिंदगी
चाहिए मुझे तेरा साथ ऐ जिन्दगी
छूट ना जाए तेरा हाथ् मेरे हाथ से
ऐ मेरी जिन्दगी
© Ankur tyagi