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तलाश: अनंत सुख की....
जुड़ा नहीं जो प्रभु नाम से, मन उसका खाली ही रहा,
मिलकर भी सब कुछ इस दुनिया में, प्याला सुकून वाला खाली ही रहा।
अक्सर बेवजह ही दिल डूब सा जाता है,
एक पल चेहेकने मेहेकने वाला मुखड़ा,
मायूस सा हो जाता है,
स्रोत है

जो असीम शक्ति का
उससे जुड़ नहीं पाई हूँ, इसीलिए मन का घड़ा खाली ही रहा,
भागती रहती हूँ किसी मृगतृष्णा के पीछे,
सांसों की डोर जिसके हाथ है,
उसकी कृपा को मेरा मन सवाली ही रहा।
काली सियाह रात...... दिन में भी महसूस हुआ करती है,
उस प्रभु प्यारे का लगाया बाग़ बिन माली ही रहा।
किसको दोष दूं कमी मुझमें है,
आध्यात्मिक प्रेम को पाने के लिए मैंने कुछ भी न किया,
पड़ा रहा वैराग्य के बिस्तर पे जीवन मेरा,
प्रभु नाम का रस, प्रभु से मिलन का पिटारा खाली ही रहा।
jab tak srot se nahi judenge kahin chainn nahi payenge
#spirituality #source #innerlight
© Haniya kaur