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#जय श्री राम#
अवधपुरी में आए राम ,
चलो चले हम उनके धाम ।
पैर ना चाहे अब विश्राम ,
बोलो भक्तों-
"जय श्री राम"
बोलो भक्तों-
" जय श्री राम"

देखो सज चुकी अवधपुरी ,
गज की सूंड में पुष्प है झुली ,
भारतीय कला दिखलाती है ,
शार्दुल के केवल गर्जन से ही ,
बैर चली जाती है ।

अवगुण के जितने गुण हैं तुममें ,
गरुड़ जी ले जाएंगे ,
अरे!
राम जी का धाम है ,
अभी और सैर कराएंगे,
अभी और सैर कराएंगे।

भक्ति का रंग है कैसा,
इंद्रायणी-अप्सरा भी है आई,
"नृत्य मंडप" की और बढे ,
तो अखियां में अश्रु है आई ।

त्रिकाल दर्शी के कण-कण में ,
नृत्य की बहती धारा है,
मनोहर उनकी छविया देखो,
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