#जय श्री राम#
अवधपुरी में आए राम ,
चलो चले हम उनके धाम ।
पैर ना चाहे अब विश्राम ,
बोलो भक्तों-
"जय श्री राम"
बोलो भक्तों-
" जय श्री राम"
देखो सज चुकी अवधपुरी ,
गज की सूंड में पुष्प है झुली ,
भारतीय कला दिखलाती है ,
शार्दुल के केवल गर्जन से ही ,
बैर चली जाती है ।
अवगुण के जितने गुण हैं तुममें ,
गरुड़ जी ले जाएंगे ,
अरे!
राम जी का धाम है ,
अभी और सैर कराएंगे,
अभी और सैर कराएंगे।
भक्ति का रंग है कैसा,
इंद्रायणी-अप्सरा भी है आई,
"नृत्य मंडप" की और बढे ,
तो अखियां में अश्रु है आई ।
त्रिकाल दर्शी के कण-कण में ,
नृत्य की बहती धारा है,
मनोहर उनकी छविया देखो,
यह "नृत्य मंडप" अती न्यारा है ।
यह "नृत्य मंडप" अती न्यारा है ।
आए-आए हम बढ़ चले हैं ,
अब होए रंग-रंगीन ।
चार स्तंभों पर गणपति खड़े हैं ,
हम सब उनके चरणों के अधीन ,
हम सब उनके चरणों के अधीन ।
मंगल -मंगल हो रहा है ,
मंगल है यह धाम ,
आप सब का स्वागतम,
"श्रीमती- श्रीमान "।
उलझ चुकी थी जो पहली ,
आए मिल सुलझाएं,
स्वागत है "गुङी मंडप" में
श्री राम की लीला गाए,
श्री राम की लीला गए:-
"श्री विष्णु बनाकर राम ,
उनके बाम भाग में मां सीता ,
अति पवित्र है यह धाम ।"
बाई और है "प्रार्थना मंडप" और ,
दाएं और है "कीर्तन मंडप"
मुख्य द्वार पर जय-विजय हैं ,
सजे हुए हैं सारे मंडप ।
"मकर वाहिनी मां गंगा" देखो ,
दूसरी "कुर्म्रवाहिनी यमुना"
गर्भगृह का चौखट देखो ,
"चंद्रधारी मां गंगा "।
""भक्तों गर्भगृह तक हम आ चुके हैं ,
जो वर्षों का था सपना ,
वह आज आकर पूरा हुआ ,
राम जी हुए अपना।"
आप सभी को बधाई।
"जय श्री राम ,
जय सियाराम"
© श्रीहरि
चलो चले हम उनके धाम ।
पैर ना चाहे अब विश्राम ,
बोलो भक्तों-
"जय श्री राम"
बोलो भक्तों-
" जय श्री राम"
देखो सज चुकी अवधपुरी ,
गज की सूंड में पुष्प है झुली ,
भारतीय कला दिखलाती है ,
शार्दुल के केवल गर्जन से ही ,
बैर चली जाती है ।
अवगुण के जितने गुण हैं तुममें ,
गरुड़ जी ले जाएंगे ,
अरे!
राम जी का धाम है ,
अभी और सैर कराएंगे,
अभी और सैर कराएंगे।
भक्ति का रंग है कैसा,
इंद्रायणी-अप्सरा भी है आई,
"नृत्य मंडप" की और बढे ,
तो अखियां में अश्रु है आई ।
त्रिकाल दर्शी के कण-कण में ,
नृत्य की बहती धारा है,
मनोहर उनकी छविया देखो,
यह "नृत्य मंडप" अती न्यारा है ।
यह "नृत्य मंडप" अती न्यारा है ।
आए-आए हम बढ़ चले हैं ,
अब होए रंग-रंगीन ।
चार स्तंभों पर गणपति खड़े हैं ,
हम सब उनके चरणों के अधीन ,
हम सब उनके चरणों के अधीन ।
मंगल -मंगल हो रहा है ,
मंगल है यह धाम ,
आप सब का स्वागतम,
"श्रीमती- श्रीमान "।
उलझ चुकी थी जो पहली ,
आए मिल सुलझाएं,
स्वागत है "गुङी मंडप" में
श्री राम की लीला गाए,
श्री राम की लीला गए:-
"श्री विष्णु बनाकर राम ,
उनके बाम भाग में मां सीता ,
अति पवित्र है यह धाम ।"
बाई और है "प्रार्थना मंडप" और ,
दाएं और है "कीर्तन मंडप"
मुख्य द्वार पर जय-विजय हैं ,
सजे हुए हैं सारे मंडप ।
"मकर वाहिनी मां गंगा" देखो ,
दूसरी "कुर्म्रवाहिनी यमुना"
गर्भगृह का चौखट देखो ,
"चंद्रधारी मां गंगा "।
""भक्तों गर्भगृह तक हम आ चुके हैं ,
जो वर्षों का था सपना ,
वह आज आकर पूरा हुआ ,
राम जी हुए अपना।"
आप सभी को बधाई।
"जय श्री राम ,
जय सियाराम"
© श्रीहरि