...

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तेरे बिन
कभी लिखते हैँ कभी मिटाते हैँ
तेरे ना होने से हम पागल से हो जाते हैँ
चलते चलते यूँ ही रुक जाते हैँ
कभी रोते हैँ, कभी यूँ ही मुस्कुराते हैँ
कभी तेरी यादों में बेसुध से हो जाते हैँ
कभी शायरी करते हैँ, कभी दिल्लगी करते हैँ
तेरे ना होने से हम पागल से हो जाते हैँ
कब क्या करें कुछ पता नहीं होता
तूझे खोने के बाद ना जागता हूँ ना सोता
ये क्या हुआ है मुझे, दिल पे ये कौन सी आफत है
ना दिन में चैन आता है, ना रातों को नींद आती है
तेरे ना होने की सजा अब हर पल मेरे धड़कनें पाती हैँ