मनुष्यों की परीक्षा
तेज़ आंच में तपकर जैसे
रूप निखरता कंचन का,
ज्यों सत्य की छटा दिखाते
बढ़ता सौंदर्य दर्पण का,
कुछ इसी तरह मनुष्यों की भी
नित्य परीक्षा होती है,
क्या जाना, क्या सीखा हमने
यह समीक्षा होती है,
ज्यों-ज्यों पथ की बाधाओं से
अंतर्मन...
रूप निखरता कंचन का,
ज्यों सत्य की छटा दिखाते
बढ़ता सौंदर्य दर्पण का,
कुछ इसी तरह मनुष्यों की भी
नित्य परीक्षा होती है,
क्या जाना, क्या सीखा हमने
यह समीक्षा होती है,
ज्यों-ज्यों पथ की बाधाओं से
अंतर्मन...