तेरे होने से...
तेरे होने से जैसे कड़कती धूप में छांव मिल गई,
सोचने को तू मिली मानो मन को आंखें मिल गई...
तेरे होने से दगमगाते कदम संभल जाया करते हैं,
किसी तिनके को मिले हवा का सहारा,
हम भी तिनके की तरह घर से निकल जाया करते हैं...
तेरे होने से पग पग को दिशा मिल गई...
घर से निकले थे बिना पता,
तुम मिले तो ऐसे जैसे नाव को नदी मिल गई...
तेरे होने से मुझमे सुधार आया है,
पत्थर की शिला पर चोट से,
मूर्ति का निखार आया है...
तेरे होने से इस माटी को आकार मिला,
रास्ते की धूल था मैं,
मुझे कुम्हार का प्यार मिला...
तेरे होने से अकेले होने का डर नहीं होता,
जो हम आज हैं,
तेरे होने से है, जो में हूं वह मैं आज नहीं होता...
तेरे होने से खुदा की इबादत होती है,
दिल नहीं पिघलता किसी पर,
तुझ से छले जाने की आदत जो होती है...
तेरे होने से होठों को मुस्कान मिलती है,
शब्दों को मिलते हैं अर्थ,
एक कवि की पहचान मिलती है...
तेरे होने से यह चिराग जलता रहता है,
तेरे ख्वाबों की हवा से कभी लड़ता कभी बिगड़ता रहता है...
तेरे होने से मेरे जिंदा होने का एहसास होता...
सोचने को तू मिली मानो मन को आंखें मिल गई...
तेरे होने से दगमगाते कदम संभल जाया करते हैं,
किसी तिनके को मिले हवा का सहारा,
हम भी तिनके की तरह घर से निकल जाया करते हैं...
तेरे होने से पग पग को दिशा मिल गई...
घर से निकले थे बिना पता,
तुम मिले तो ऐसे जैसे नाव को नदी मिल गई...
तेरे होने से मुझमे सुधार आया है,
पत्थर की शिला पर चोट से,
मूर्ति का निखार आया है...
तेरे होने से इस माटी को आकार मिला,
रास्ते की धूल था मैं,
मुझे कुम्हार का प्यार मिला...
तेरे होने से अकेले होने का डर नहीं होता,
जो हम आज हैं,
तेरे होने से है, जो में हूं वह मैं आज नहीं होता...
तेरे होने से खुदा की इबादत होती है,
दिल नहीं पिघलता किसी पर,
तुझ से छले जाने की आदत जो होती है...
तेरे होने से होठों को मुस्कान मिलती है,
शब्दों को मिलते हैं अर्थ,
एक कवि की पहचान मिलती है...
तेरे होने से यह चिराग जलता रहता है,
तेरे ख्वाबों की हवा से कभी लड़ता कभी बिगड़ता रहता है...
तेरे होने से मेरे जिंदा होने का एहसास होता...