माँ
अब तक जाने कितना कुछ लिखा पर तेरे लिए दो शब्द माँ मैं लिख नहीं पाया,
तेरे जैसे हर दर्द को अंदर ही पीना कभी सीख नहीं पाया,
पिता के जाने के बाद कितने दुख तकलीफ़ सहकर वक्त गुज़ारा हैं,
घर को संभाले हुऐ तुमने घुट घुट के आंसु पिये पर ना ख़ुद को हारा हैं,
हम पर अपनी हर खुशी लुटायी पर तुम्हारे लिए मैं बिक नहीं पाया,
अबतक....................
हर गम सहकर बूढ़े शरीर पर तुमने हमें हंसना हैं सिखाया,
जब जब भी हिम्मत टूटी माँ तूने सदा हौंसले से ...
तेरे जैसे हर दर्द को अंदर ही पीना कभी सीख नहीं पाया,
पिता के जाने के बाद कितने दुख तकलीफ़ सहकर वक्त गुज़ारा हैं,
घर को संभाले हुऐ तुमने घुट घुट के आंसु पिये पर ना ख़ुद को हारा हैं,
हम पर अपनी हर खुशी लुटायी पर तुम्हारे लिए मैं बिक नहीं पाया,
अबतक....................
हर गम सहकर बूढ़े शरीर पर तुमने हमें हंसना हैं सिखाया,
जब जब भी हिम्मत टूटी माँ तूने सदा हौंसले से ...