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श्रावणी तीज
हरित हरी प्रकृति में आज, शोभा श्री उमड़ आई है,
वृक्षों पर पड़े झूलों पर अब, सावन की अगुवाई है।
उमंग, सौंदर्य, प्रेम, आस्था, हर ओर लोकगायिकी छाई है,
झूलती–गाती, आनंद मनाती, कजली तीज आई है।

सोलह श्रृंगार, हरी चूड़ियां में, हर स्त्री आज समाई है,
हाथों और कलाईयों में सुहाग की, मेंहदियां आज रचाई हैं।
साध्वी को वर मिले, सधवा को समृद्धि छाई है,
सुहाग पर्व में सुहागन बनकर, हरतालिका तीज आई है।

शिवाशिव का हुआ मिलान, शुभ घड़ियां वो आईं हैं,
शताष्ट जन्मोपरांत उमा शङ्कर से मिल पाईं हैं।
प्रिय खीर मालपुओं से शिव की थाली सजाई है,
भवानी भैरव की पूजा करती श्रावणी तीज आई है।


© Utkarsh Ahuja