...

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तू क्यों ना समझे...

बयां कैसे करुँ मैं , हम हैं थोड़े उलझे-उलझे
फना होना चाहूँ तुझमें ,तू क्यों ना समझे.....

रातों की नींद है गायब, नींद भी अब तुझे ढ़ूंढ़ें
अधरों में है नाम...