!... तुम हो ना...!
नहीं हूं मैं काबिल ए इमामत के, मुझे है शोक पेशवा ए रिंद होना
दो घड़ी का मेहमान हूं तेरी बनी दुनियां में, फिर यहीं मर के रेत होना
आरजू ए दुनियां में मोहब्बत का दावा है गुनाह, कुफ्र है यहां आशिक होना
लैला लैला न कर होश में आ गाफिल, अभी और भी मकां हैं इश्क़ में होना
चश्म ए...
दो घड़ी का मेहमान हूं तेरी बनी दुनियां में, फिर यहीं मर के रेत होना
आरजू ए दुनियां में मोहब्बत का दावा है गुनाह, कुफ्र है यहां आशिक होना
लैला लैला न कर होश में आ गाफिल, अभी और भी मकां हैं इश्क़ में होना
चश्म ए...