...

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रात
"एक कहानी भूलने पर एक कहानी याद
बोलने वालो को क्या कुछ मुह जवानी याद है
ऐ दरख़्तो के साए हर समय रहते नही
रहती है वह याद जिसकी एक कहानी
'याद ,है
रास्तो कि धूल मे वह धूल जो उङती नही
दरख़्तो कि छाव मे वह धूप जो खिलती नही
यह सङक इस पार से उस पार तक बेजार
एक सवाल पूछना क्या जीत है क्या हार है
कब मुकम्मल है सफर और
कब घङी बीमार है
आसमान इस जमी से
कितनी सदीयो पार है

देखते है सब दीदावर चाद मे एक दाग है
ख्बाव तो होते है पल भर
क्या मुकम्मल ,क्या अधूरे ख्बाव है
इस जमी से आसमान मे
टिम टिमाते तारे हैं
हो अन्धेरी रात फिर
सब खिलने वाले है ,,





© Satyam Dubey