10 views
//ज़िन्दगी//
धीरे-धीरे मोम सी पिघल रही ज़िंदगी
धुआं धुआं मोम सी जल रही ज़िंदगी
किसे फिकर यहाँ किसी के जज़्बात की
फिकर है तो बस अपने मन की बात की
युग बदलते रहे,और कई सदियाँ गुज़रती गई
हालत तो बस औरत की बद से बदतर होती गई
दिन बीतते रहे,कोई बदलाव ही नहीं आया
और धीरे-धीरे शाम सी ढ़ल रही ज़िंदगी
© shobha panchariya
#_ज़िंदगी
#quoteofmine
#writco
#TrulyAlive
धुआं धुआं मोम सी जल रही ज़िंदगी
किसे फिकर यहाँ किसी के जज़्बात की
फिकर है तो बस अपने मन की बात की
युग बदलते रहे,और कई सदियाँ गुज़रती गई
हालत तो बस औरत की बद से बदतर होती गई
दिन बीतते रहे,कोई बदलाव ही नहीं आया
और धीरे-धीरे शाम सी ढ़ल रही ज़िंदगी
© shobha panchariya
#_ज़िंदगी
#quoteofmine
#writco
#TrulyAlive
Related Stories
15 Likes
11
Comments
15 Likes
11
Comments