...

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एक बंध प्रेम गीत का
मेरी निर्जीव काया के तुम प्राण हो।
प्राण के बिन ये काया कहाँ जायेगी।।
ये कहीं भी रहे चाहे संसार में।
तुम जो आवाज दोगे चली आयेगी।।

जब समय ने हमें दूर था कर दिया।
अपना मिलना भी संभव था लगता नहीं।।
उस समय भी थे हम तुम जुड़े प्रेम से।
प्राण तुमसे कभी मैं अलग था नहीं।।

मेरा प्रतिमान देखो मेरी आँख में।
बस तुम्हारी ही प्रतिमा नज़र आयेगी।।
मेरी निर्जीव काया के तुम प्राण हो।
प्राण के बिन ये काया कहाँ जायेगी।।


प्रतिमान : आदर्श
प्रतिमा : मूर्ति

#गीत #Writcoquote






© आदित्य तिवारी