...

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ख़्वाब मचलने लगते हैं
देख कर ये खुला आसमां
उड़ान भरने को तरसने लगते हैं,
देखे जो इन आँखों ने
वो ख़्वाब मचलने लगते हैं !!

मिलती है मायूसी हर बार इनको
फ़िर भी उम्मीद बार- बार ये करने लगते हैं,
देखे जो इन आँखों ने
वो ख़्वाब मचलने लगते हैं !!

पाने को मंज़िल अपनी हट करने लगते हैं
सफ़र तय करने के लिए आतुर ये होने लगते हैं,
देखे जो इन आँखों ने
वो ख़्वाब मचलने लगते हैं !!

ख्वाहिशों के रंगों से रोज़ सजते सवरते हैं
कई बार टूटते हैं टूटकर फ़िर संभलने लगते हैं
देखे जो इन आँखों ने
वो ख़्वाब मचलने लगते हैं !!
© K. Ansari