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जिन्दगी हैरान कर देती है तू!
" जिन्दगी हैरान कर देती है तू
जब होती दरासल किसी ओर की है तू
पर हो बन किसी ओर की जाती हैं तू
जिन्दगी मुझे हैरान कर देती है तू
जब किसी फ़किर को सच कहूं तो
है रानी से
___________मिल जाती है तू!
K किसी दिपक का वह ज्योति
कैसे रिश्ते में भाभी लगती है तू !
राज़ कुमार जीजा लगता मेरा
हैरानी मगर फिर भी न जाने क्यों?
मेरी रानी को नहीं लगती हैं।
के एक Sona वह भी किसी मजार
हिरो के खानदान में मोहब्बत f#@kira
किसी माया के चक्कर में न जाने कब से
______________ पड़ी है तू।
जिन्दगी मुझे हैरान कर देती है तू
जब पढ़ी लिखी हो कर तू सून फ़किरा
K बदनाम कर देती है तू।
अब अपना खुद बोझ उठा पगली
खुद से भला अब डरती है क्यों?
कर सामना अब इस वक्त का
हिम्मत है तुझमें कर सकतीं हैं तू।
k तकदीर को क्यों भला अब
कोसती है क्यों?
जब जो होनी ही है जैसे
अगर कोई f#@kira
बदनामी से फिर क्या डरना है
पर्दा वेनाकाब कोई अगर
हाथों के लकीरों में नहीं है अगर
चलों फिर से वही किसी फ़किर के
मजार ऐ उल्फत जहां
कहानी फिर से कोई जैसे
फ़रिश्ता लीखता कहता है
पर जिन्दगी वहां आ कर
हैरान कर देती है तू
जब रोता है अकेले तन्हा राजू कोई
शब्दों में फिर से कहीं
कोई मां की तरह मिल जाती हैं तू।
जिन्दगी वहां अक्सर कभी कभार
हां! जरूर हैरान कर देती है तू।
जब किसी राजा को एक्का फ़किरा
और किसी जोकर को हैरानी ऐ तराज़ू
के किस्मत के हथेलियों में f#@kira
हैं रानी ; मिल जाती , है - तू!
जिन्दगी वहां अक्सर
हैरान; कर देती, है - तू!
to be continue
© F#@KiRa BaBA
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