...

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क्या मेरा क्या तेरा?
त्यौहार मनाना जीवन जीने सा है,
जीवन जीने में क्या मेरा क्या तेरा?
उस दिव्य शक्ति से जुड़ना ही तो है,
शक्ति स्रोत से जुड़ने में क्या मेरा क्या तेरा?
वो मनाता है त्योहार बोल कर जय माता दी,
जो मैंने मनाया बोल कर सतनाम वाहेगुरु,
रास्ते तो दोनों एक ही मंजिल को जाते हैं,
मंजिल एक है तो क्या मेरा क्या तेरा?
मैं हिंदू, मुसलमान से पहले इंसान हूँ,
त्योहार मना कर शुक्राना करती हूँ,
शुक्राना प्रभु का करने में क्या मेरा क्या तेरा?
एक पिता है, एक ही की संतानें हैं सब,
इस एहसास को जीने में क्या मेरा क्या तेरा?
ज़िंदगी मिली है तो हर लम्हा जी लो हुज़ूर,
लम्हा लम्हा जीने में क्या मेरा क्या तेरा?
चैत्र नवरात्रि और ईद की शुभकामनाएँ
#Love&love #humanityfirst
© Haniya kaur