...

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घरबारण
म सांच कहूं सु राम कसम, मेरे दिल की तू घरबारण स
तू ही अजान स ओ श्याणी, गीता का तू उच्चारण स
इस दुनिया का मन्नै बेरा ना, तन्नै के के वा हाँ देगी र
मेरे धोरै बस एक दिल था र, वो भी बैरण तू लेगी र
के सोच रही क्यूं आऊं सु, मेरे आण का तू ही कारण स
म सांच कहूं सु राम कसम, मेरे दिल की तू घरबारण स
सुर ना तू सरगम है सनम, बेला स तू शहनाई की
तेरे जैसा कोन्या साथ सनम, ना दवा कोई तन्हाई की
तेरै कारण ही घरबार सनम, तू ही भवसागर का तारण स
म सांच कहूं सु राम कसम, मेरे दिल की तू घरबारण स
दुख मैं तन्नै मेरा साथ मिलै, खुशियां मैं शामिल हो जाऊं
मेरे दिल की तो स दुआ सनम, मैं तेरे काबिल हो जाऊं
तू ही शरद ऋतु का चांद सनम, सामण का तू ही कारण स
म सांच कहूं सु राम कसम, मेरे दिल की तू घरबारण स


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