...

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नारी
आज की नारी

अपनी सोच को विराम न दूँगी ,
पंखों को आराम न दूँगी ।
इनकी शक्ति तो उड़ान है ,
बुलंदियों को पाना ही मेरी पहचान है ।
हर पल बाधाएँ ही तो मिली थीं ,
कुछ अपनों ने दी , कुछ समाज ने
पर क्या मेरे सपनों को विराम लगा सके ?
मंजूर नहीं , हर बार अपने अस्तित्व को यूँ कसौटी पर कसना !
कहा था, बहुत ऊँची उड़ान की मत सोच , हासिल नहीं होगा ,
पर,...