...

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"ग़ज़ल"
दिन तड़पकर, साम जलकर गुज़ारी,
याद हैं वो रातें जो मिलकर गुज़ारी।

आलम रहा यूँ जुदाई के बाद,
इक शमशीर सीने से दिनभर गुज़ारी।

बहुत तो ज़िंदगी तेरे ग़म में कटी,...