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ख़ुमार मोसम का
@everyone
मुझे अब किसी पर ऐतबार नहीं है
तू मेरी वफ़ा है मेरा प्यार नहीं है..
तूने भिगोया हर किसी को ए बादल
पर तू मुझ पर क्यूँ बरसा नहीं है..
तुझ में भीग जाऊं मैं
बस इतनी सी ख़्वाहिश थी..
तूने क्यों मुझ को ख़ुद में
डुबोया नहीं है..
आज मुझे शिक़ायत मौसम से नहीं है
आज मेरा हमराह जो मेरे साथ नहीं है..
कहने को न काबिले बरदाश़्त है वो
पर फ़ितरतन अच्छा है ख़ुदगर्ज नहीं है..
कभी भोला है, कभी सच्चा है
पर मेरी तरहा नाज़ुक बच्चा नहीं है..
वो मुझे बदलता मौसम कहता है
और वो खुद भी हवा के झोंके से कम नहीं है..
मेरी जानिब भी वो धीरे से बड़ता है
मुझको कस के पकड़ता भी नहीं है..
मुझ को पाने की ख़्वाहिश रखता है
और कहता है मुझे खोने से डरता नहीं है..
और फ़िर ख़ान साहब मुस्कुरा कर कहते हैं..
ये सब ख़ुमार है मोसम का मुझ पर
ऐसा कोई महबूब मुझे मिला ही नहीं है..
#ख़ुमार( नशा)
#shayar
#lines_khan_ki
© K_khan_lines ..KK.. ✍
मुझे अब किसी पर ऐतबार नहीं है
तू मेरी वफ़ा है मेरा प्यार नहीं है..
तूने भिगोया हर किसी को ए बादल
पर तू मुझ पर क्यूँ बरसा नहीं है..
तुझ में भीग जाऊं मैं
बस इतनी सी ख़्वाहिश थी..
तूने क्यों मुझ को ख़ुद में
डुबोया नहीं है..
आज मुझे शिक़ायत मौसम से नहीं है
आज मेरा हमराह जो मेरे साथ नहीं है..
कहने को न काबिले बरदाश़्त है वो
पर फ़ितरतन अच्छा है ख़ुदगर्ज नहीं है..
कभी भोला है, कभी सच्चा है
पर मेरी तरहा नाज़ुक बच्चा नहीं है..
वो मुझे बदलता मौसम कहता है
और वो खुद भी हवा के झोंके से कम नहीं है..
मेरी जानिब भी वो धीरे से बड़ता है
मुझको कस के पकड़ता भी नहीं है..
मुझ को पाने की ख़्वाहिश रखता है
और कहता है मुझे खोने से डरता नहीं है..
और फ़िर ख़ान साहब मुस्कुरा कर कहते हैं..
ये सब ख़ुमार है मोसम का मुझ पर
ऐसा कोई महबूब मुझे मिला ही नहीं है..
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