नदी और सागर
मैं वो समंदर हूं 🌱☘️🌿🌱
जिसकी गहराई कोई देख नहीं पाया
मेरी लहरों में उलझे रहे तुम
हम यूंही तन्हा बहते रहें!
ना जाने कितनी नदिया आई और समा गई
हम तो तेरे मिलने का इंतजार करते रहे.
हम खुद को समेटे चलते रहे
तुम हर रोज दरिया बदलते रहे
हम खुद की लहरों को शांत कर
तेरी नैया पार लगाते रहे।
हम यूंही तन्हा बहते रहे
तुम रोज नौका बदलते रहे।
तेरे मिलने की आश में
हम बिन लहरों के बहते रहे।
हम जमाने की नजरो में सागर थे
बस तेरे लिए पानी बदलते रहे।
तेरे मिलन की आस में
हम घुट घुट मरते रहे।
तुम रास्ते बदलते रहे
हम इंतजार करते रहे।
जिसकी गहराई कोई देख नहीं पाया
मेरी लहरों में उलझे रहे तुम
हम यूंही तन्हा बहते रहें!
ना जाने कितनी नदिया आई और समा गई
हम तो तेरे मिलने का इंतजार करते रहे.
हम खुद को समेटे चलते रहे
तुम हर रोज दरिया बदलते रहे
हम खुद की लहरों को शांत कर
तेरी नैया पार लगाते रहे।
हम यूंही तन्हा बहते रहे
तुम रोज नौका बदलते रहे।
तेरे मिलने की आश में
हम बिन लहरों के बहते रहे।
हम जमाने की नजरो में सागर थे
बस तेरे लिए पानी बदलते रहे।
तेरे मिलन की आस में
हम घुट घुट मरते रहे।
तुम रास्ते बदलते रहे
हम इंतजार करते रहे।