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एक फौजी का दिल
चलो आओ पढते हैं एक फौजी का दिल
जिसमें छिपी है उसके परिवार की फ़िक्र
वो परिवार जिससे वो दूर है
रहना दूर बडा ही क्रूर है
'फौजी का फौलादी सीना' तो सुनते हैं पर उसके नम्र दिल की गाथा कोई गाता नहीं है
शहीद होने पर वीरता पुरस्कार तो देते हैं पर
हर पल जो खतरे में जीया कोई बतलाता नहीं है
मखमली गददों पर नहीं पत्थर पर सिर है रखते
सुनकर एक आहट आधी रात को भी झट से उठते
आखों में उनकी ख्वाब नहीं, सो न जाऊं मग्न होकर ये डर होता है
सवेरे आंख खुले तो माथे को सहलाता मां का हाथ नहीं, दुश्मन की गोली या बडे साहब की फटकार होती है
आओ अब जिक्र करते हैं उस पल का जो है फौजी के उगती सी किरण के कल का
जो है उसकी नन्ही- सी चिररया (बेटी) से मिलने का
जिससे कर आया था जल्दी मिलने का वादा
राह तकती उन निगाहों और सिर पर रखने को तरस रहे उन हाथों से मिलने का
यहीं कुछ पल होते हैं शुकुन और हंसी खुशी के जो एक फौजी के परिवार को मिलते हैं क्योंकि
फिर वही चिंता मन को घेर लेती है जब कहता है आया है बुलावा बॉर्डर से जाना है मुझको फिर से
ले जाता है अपने साथ इन पलों की यादें बंद कर अटेची में
और हो जाता है मग्न फिर से अपनी उस जिंदगी में
फिर बतलाता है यारों को मिल आया घरवालों को,
जो दिया जिंदगी ने मौका तो तकेंगे राह फिर जाने को।

: मैने लिखा है 'हाल-ए-दिल' एक फौजी का
पढो और समझो क्यूं है फौलादी दिल एक फौजी का

A gift full of love and respect for each soldier on the occasion of army day from me.
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