चल छोड़ यार...
कभी कभी लगता है तन्हाई में
की किसिके साथ की बहुत जरूरत है
ये जानने के बावजूद की कोई
अपना नहीं...!
सूखे पत्तों के डाली की तरह
सबकुछ वक़्त के साथ झड़ जाएगा एक दिन
ये जानने के बावजूद की ये छलावा है
हकीक़त नहीं...!
मैने इन दिनों...
की किसिके साथ की बहुत जरूरत है
ये जानने के बावजूद की कोई
अपना नहीं...!
सूखे पत्तों के डाली की तरह
सबकुछ वक़्त के साथ झड़ जाएगा एक दिन
ये जानने के बावजूद की ये छलावा है
हकीक़त नहीं...!
मैने इन दिनों...