...

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बंधन🌹🌿
गिर जाते हो मेरी नजरों से अक्सर
जब तुम मुझपर
अपना विश्वास बना नहीं पाते..
घृणा सी होती है तुमसे जाने क्यों
जब तुम मुझे दिल से अपना नहीं पाते..🌹🌿

लम्हे लम्हे ..
की कसक और उभर आती है तब
जब तुम्हारी नजरें.. मेरे ........अस्तित्व
को लांछन.. लगाती हैं .......
क्यूं तुम ?
मेरे "वजूद" को पहचान नहीं पाते....
एक "ह्रदय"
मेरे पास भी है ये जान नहीं पाते.......🌹🌿

रोज क्यों ??
तुम्हें..अग्नि.. परीक्षा चाहिए मेरी....
क्यूं ये सिंदूरी
रस्मों में, रहूं उम्र भर मैं घिरी....
मुझे भी चाहिए एक खुला आसमां
एक उन्मुक्त जमीं ...
नहीं सही जाती अब
जिंदगी को न जी पाने की कमी.......🌹🌿

कसक
मेरे सीने...