...

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ख़्वाहिशें
बंद कर दिए मैंने अपने दिल के दरवाज़े ख़्वाहिशों के लिए,
तक़दीर से जो मिला है वो क्या कम है ज़िंदा रहने के लिए।
ख़्वाहिशें अनंत हैं, एक पूरी हो तो दूसरी उभर आएगी,
उम्र भी कम पड़ जाती है ख़्वाहिशों को पूरा करने के लिए।

- दुर्गाकुमार मिश्रा