रोटी ( कविता )
कुदरत की नियामत है रोटी
हर दिल की चाहत है रोटी
मोटी रोटी , पतली रोटी
गेहूँ की रोटी , रागी की रोटी
गरीब की रोटी ,अमीर की रोटी
पाप की रोटी , पुण्य की रोटी
सबकी चाहत है रोटी सब की भूख मिटाती हैं रोटी
अच्छे बुरे कर्म करवाती है रोटी
गरीब को दूर नजर आती हैं रोटी
अमीर की थाली मे भिन्न भिन्न पदार्थ के साथ सज जाती है रोटी ।
किसी को कीमत नही , किसी की जान जाने का कारण बन जाती हैं रोटी ।
आओ मिलकर नमन करे भगवान हम सब पर मेहरबान रहे रोटी ।
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हर दिल की चाहत है रोटी
मोटी रोटी , पतली रोटी
गेहूँ की रोटी , रागी की रोटी
गरीब की रोटी ,अमीर की रोटी
पाप की रोटी , पुण्य की रोटी
सबकी चाहत है रोटी सब की भूख मिटाती हैं रोटी
अच्छे बुरे कर्म करवाती है रोटी
गरीब को दूर नजर आती हैं रोटी
अमीर की थाली मे भिन्न भिन्न पदार्थ के साथ सज जाती है रोटी ।
किसी को कीमत नही , किसी की जान जाने का कारण बन जाती हैं रोटी ।
आओ मिलकर नमन करे भगवान हम सब पर मेहरबान रहे रोटी ।
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