...

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स्वतंत्रता सतत साधना हमारी
सोचो हज़ारों वर्ष की गुलामी के
दहशत भरे दिन कैसे हुए होंगे !
न शिक्षा ,न समुचित भोजन कपड़े
जलालत से गुजरते कैसे दिन हुए होंगे !!

पशुवत व्यवहार ,मानवता का विनाश !
शोषण ,अत्याचार,अनाचार की पराकाष्ठा !!
अज्ञानतम आवरण का गहनतर होता जाना ,
तिस पर तिल तिल कर जीवन मरण सन्नाटा !!

ऐसे घनांधकार में प्रयास स्वतंत्रता के स्तुत्य है ,
मानवता जीवित हो उठती...