...

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अंधेरे अच्छे हैं
अंधेरे अच्छे हैं ,
जो उजागर कर देते हैं
चांद और तारों को !
जिनको दिन की चकाचौंध
छुपाए रखती है !
अंधेरे अच्छे हैं ,
जो आबरू को
ढके रखते हैं गरीबी की !
जिसको दिन का उजाला
दुःशासन बन लूटने
को आतुर रहता है !
अंधेरे अच्छे हैं ,
जो उजागर कर देते हैं
उन परजीवियों को ;
जो दिन के उजाले में
पिस्सू बन दूसरों का
लहू पीते हैं !
अंधेरे अच्छे हैं ,
दागों को छिपा लेते हैं !
आंसू को छिपा लेते हैं और
बेसहारों को पनाह देते हैं !
अंधेरे सच्चे हैं ,
जो ज़िन्दगी को
आइना दिखा देते हैं !
कफ़न में लिपटी
पड़ी है ज़िन्दगी,
उसका कफ़न हटा देते हैं !
अंधेरे अच्छे हैं,
जो एक अलग दुनिया
का पता देते हैं !
एक दुनिया जिसमें
सब अंधे हैं, सब चंगे हैं !
हमाम बन गई है वो दुनिया,
जिसमें सब नंगे हैं ,
फिर भी चंगे हैं !!

© Brijendra Kanojia