...

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अंतःकरण
दीवारों पर तख्तियां हज़ार टंगी हो
पर सच्चाई की तख्ती सबसे नीचे होगी
तुम ऊपर से समझने में मत गवां देना समय को
पानी की सतह पर ही मोती की सीप पड़ी होगी
और जब दिखें तुम्हें वह सीप का मोती
लालच की आंखों में शायद वो चमक भी चुभी होगी
पर चमक में ही खो मत जाना
वहां अनगिनत ऐसी चमक की रोशनी होगी
जब समझ जाओ तुम चमक की नगरी को
तब स्वतः ही तुम्हारे भीतर से शरीर की दीवार तोड़
वह रोशनी फैलेंगी
तब सारी तख्तियां राख में मिली होगी
© 💞 पूजाप्रेम💞