...

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सपना😌🤍
सत्रह साल की थी जब घर छोड़ा था मैंने🍂
भीड से कुछ अलग कर दिखाने की नींद से एक ख्वाब जोड़ा था मैंने ✨
फौजी बनने की दौड़ में जब चार कदम बढ़ाये🤌🏻
तब उसी ख्वाब में तिरंगे से लिपट कर दम तोड़ा था मैंने🧡

सातवीं की बात है एक अफसर को देखा था मैंने 👮🏻‍♀️
उसी नज़ारे की रोशनी में अपने सपनों की माला का पहला मोती पिरोया था मैंने 📿
उस समय जब घर पर बताया तो बहुत खुश थे मेरे माँ पापा😃
लेकिन जब बड़ी हुई तो इसी बात पर उनकी आंखों में आंसू देखा था मैंने 😢

खुदको हमेशा अपने मां पापा का प्यारा बनाया था मैंने😊
बस इसी के चलते अपने ख्वाब को वापस सुलाया था मैंने😶
यूं तो आंसुओं की कमी मेरी आंखों में भी नहीं थी🥺
पर सबको हंसाकर अँधेरे में आँसू गिराए थे मैंने🍂
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