...

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!! बेज़ुबान !!
एक ज़माना था मेरा भी
कोई दीवानी भी थी मेरी
बेपनाह मोहब्बत भी हूई थी
मगर आज सिर्फ एक
बेज़ुबान ख़ामोशी में लिपटा हुआ
गुमशुदा लापता सा
अपने ही कहानी का
अनजाना किस्सा बनकर रह गया हूं
© राजेश पंचबुधे