ये दुनिया...
है नहीं, पर खुद को कमाल समझती है दुनिया
अपनी ही औकात को भूलती जा रही है दुनिया
दुसरो के साथ स्वार्थ तो सदा से करती ही आई है
खुद से स्वार्थ कर खुद का नाश कर रही है दुनिया
उड़ती है बिना पंखो के, और आसमाँ का पता नहीं
जमीं से नाते तोड़, खुद को फना कर रही है दुनिया
लेने का ही नही, लूटने का भी हुनर तो सीख गए
देने के समय, अपनों से भी नज़रे चुरा रही है दुनिया
खुदा ने नाता तोड़ा, शायद खुद की इज़्ज़त के लिए
और अब खुद को खुदा मान, इतरा रही है दुनिया
कफन को बेच कर भी जो आँख में शर्म ना लाये
ऐसी ही नस्ल से तो अब आबाद हो रही है दुनिया
© * नैna *
अपनी ही औकात को भूलती जा रही है दुनिया
दुसरो के साथ स्वार्थ तो सदा से करती ही आई है
खुद से स्वार्थ कर खुद का नाश कर रही है दुनिया
उड़ती है बिना पंखो के, और आसमाँ का पता नहीं
जमीं से नाते तोड़, खुद को फना कर रही है दुनिया
लेने का ही नही, लूटने का भी हुनर तो सीख गए
देने के समय, अपनों से भी नज़रे चुरा रही है दुनिया
खुदा ने नाता तोड़ा, शायद खुद की इज़्ज़त के लिए
और अब खुद को खुदा मान, इतरा रही है दुनिया
कफन को बेच कर भी जो आँख में शर्म ना लाये
ऐसी ही नस्ल से तो अब आबाद हो रही है दुनिया
© * नैna *