...

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प्यार सें
वक्त से पहले कुछ ना
समझाना मुझे
ऐ जिंदगी ,
वरना मैं बिखर जाऊँगी ।।

एक रोज अपने कल को
याद करके चांद की चादर में सिमट जाऊँगी।।

ना झुलसाना उस आग में
जंहा रोज मिले लाखो अजनबी
क्योंकि यहाँ मैं बिन छुए ही टूट जाऊँगी।।

बिखरे शब्दो को समेट नही पाती
जरा मैं ,
ऊंच- नीच के जाल में फस जाती ।।

सफेद चांद पर दाग नहीं लगाना
ऐ जिंदगी ,

एक साथी ऐसा मिले जो रक्षा करे ,
हर पल पहरेदार बने
साज- सजाए मेरी जिदंगी में
लक्ष्मी मान कर , कस्तूरी जानकर मुझे
राज करवाए वो अपने दिल में
हर धड़कन में , हर एहसास में
हर चांदनी रात में । ।

फिर मैं भी कुछ नहीं कहूंगी ,
उसके लिए हर रूप में ढल जाऊँगी ।।

" ये हैं प्रेम की परिभाषा
जो बनती सिर्फ विश्वास सें
कहूंगी एक बार जरा प्यार सें " ।।


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