...

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वक्त और हालात की दुनिया
कि क्यों मेरा हाथ पकड़ने से हर कोई डरता है..
बाप छोड़ जाता है और माँ को साथ चलने में डर लगता है जिंदगी का कोई क्यों मोल नहीं है हंसती हो तो आंखों में आंसू आते हैं...
क्या मैंने अपने दिल में कोई राज़ दबा रखा है
क्या करूं मुझे किसी पर यकीन ही नहीं है और यकीन करूं तो करूं किस पर मेरे अपनों ने ही मुझे धोखा दिया है...
अपनी गलतियों को मैं छुपाने लगी हूं..
डरती हूं मैं हर किसी से मगर इन बातों को मैं छुपाने लगी हो मेरे दिल के जो हालात है वह किसी को बताऊं किसी को कहने में घबराने लगी हूं


खुशी तो मेरी जिंदगी में सिर्फ कुछ पल की मेहमान है दुखों का पहाड़ मेरे साथ साथ...