...

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मुकम्मल सा जहान
एक मुकम्मल सा जहान ढूँढ़ रही हूंँ,
थोड़ी ज़मीं पूरा आसमान ढूंँढ़ रही हूंँ।

ढूंँढ़ रही हूंँ अपने वजूद की पहचान,
कहीं पूरी उम्मीदें तो कहीं अधूरे अरमान ढूंँढ़ रही हूंँ।

फ़कत ख़याल आता है की हसरत पूरी कर गुज़रूं,
हसरतों में छुपी मंज़िल ए अंजान ढूंँढ़ रही हूंँ।

बहुत कुछ कर गुज़रना है इस छोटी सी ज़िंदगी में,...