...

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आखिरकार
आखिरकार यह साल भी खत्म हो हीं गया
हां सपना बहुत देखे थे कुछ अपने हुए तो कुछ रह गए
कुछ को बातें मेरी अच्छी लगी और कुछ के लिए बुरे हो गए
कुछ को मैं समझ ना पाया तो कुछ मुझे नहीं समझ पाए
आखिरकार यह साल भी खत्म हो गया
हैं कोहली, शाहरुख, Bobby जैसा कमबैक नहीं हुआ
तो अंत कुछ टीम इंडिया और रोहित शर्मा जैसी भी नहीं
हां शुरू में सोचे थे की आग लगा देंगे सब कुछ बदल देंगे फिर जैसे-जैसे साल आगे बढ़ा तो शायद विधाता का लिखा कुछ और ही था वह अपने हिसाब से मुझे करता चला गया और मैं करता
कुछ अपनों का रंग पता चला तो कुछ अपने भी हुए
कुछ ने साथ छोड़ दिया तो कुछ ने हाथ थाम लिया
फिर कुछ ऐसा हुआ जो सब ठीक कर दिया
हर एक चीज अच्छा लगने लगा रूठना मनाना गुस्सा करना चीढ़ना चिढ़ाना और खुद ब खुद मान भी जाना
साथ मिला तो सब अच्छा लगा हाथ थमा तो सब अच्छा लगा
हां थोड़े बिगड़े थे हम सुधर गए और जिंदगी भी संवर गए
बस कृपा महादेव का यूं ही बने रहे और वो जिंदगी भर साथ रहे बस
आखिरकार यह साल भी खत्म हो गया।

© Ansh Rajput