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हर लम्हा बिंदास जिऐं!
हर लम्हा बिंदास जिऐं!
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"जब है बिछड़ना इक दिन तो फिर,
क्यूं ना प्रीत की बात करें,
हर लम्हा बिंदास जिएं,
हर शै मधुर-मिलाप करें।।
जीवन है क्या बस यादों की,
इक मीठी सी पुड़िया रे,
कड़वी कसैली बतियों से काहे,
जीवन ये बेस्वाद करें।।
इश्क में होना सबसे दिलकश,
वक्त का है फिर होश किसे,
प्यार में खोकर बस प्रियतम के,
दिल अपना गुलज़ार करें।।
हर-पल-हर-घड़ी-टिक-टिक-देखो,
समय निकलता जाए रे,
फिर ये समय ना मिले दोबारा,
झगड़ के क्यों बर्बाद करें।।
रूठना-लड़ना मगर प्यार में,
गरम-मसाले जैसै हैं,
कभी रूठे हम झूठ-मूठ में,
कभी-झूठी तक़रार करें।।
मतभेदों से फर्क नहीं है,
मन में भेद अगर ना हो,
कोई फांस जो चुभी है दिल में,
कहकर दूर गुबार करें।।
चार-दिनों की है जिन्दगानी,
और जवानी दो पल बस,
क्यों ना हर रात सुरमई कर लें,
हर दिन को इतवार करें।।
© Rashmi Shukla✒
© ©Saiyaahii🌞✒