क्या कहोगे
क्या कहोगे अपने अफसाने में
दरिया सूख गई प्यास बुझाने में
रुदन कर रही है हमामखाने में
खूब महफ़िल सजाए मयखाने में
आबरु उतार कर रख दिया वही
ठंडी...
दरिया सूख गई प्यास बुझाने में
रुदन कर रही है हमामखाने में
खूब महफ़िल सजाए मयखाने में
आबरु उतार कर रख दिया वही
ठंडी...