...

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संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

प्रत्येक विफलता का हल तुम
हर एक सफलता का फल तुम
तुमसा कोई नयनाभिराम कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

तुमसे रघुकुल की रीत सदा
शबरी की तुममे प्रीत सदा
तुम बिन नारी सम्मान कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

सरनागत के हो रक्षक तुम
हर धर्महीन के भक्षक तुम
तुम सम्मुख शत्रु में प्राण कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

तुम्हरें चरणन हनुमान रहें
जो रामायण का ज्ञान कहें
हनुमान के कोई समान कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

तुम तुलसि दास के राम बने
अर्जुन के कृष्ण महान बने
गीता सा सत्य विधान कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

भारी विपदा में धीर धरो
कांपे शत्रु जब तीर धरो
तुम जैसा सर संधान कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

तुम्हरे चरणों में प्राण बसें
दर्शन करके भृगुनाथ कहें
है भला अवध सा धाम कहाँ
संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||

संघर्ष बिना तुम राम कहाँ ||



© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻