आखरी मंजिल ज़िंदगी कि
एक दिन हम भी यु खामोस लेटे होंगे,
ये लोग कुछ ही सही हमारे जनाजे मे भी होंगे,
तकलीफे क्या थी ज़िंदगी कि ये उसदीन खत्म होगी, जब शब्द हमारे जुबा के खामोस होंगे,
कौन अपना कौन पराया हर भेदभाव उसदीन मिट जाएगा,
जिसदीन मेरा मन परमात्मा से मिल जाएगा, ...
ये लोग कुछ ही सही हमारे जनाजे मे भी होंगे,
तकलीफे क्या थी ज़िंदगी कि ये उसदीन खत्म होगी, जब शब्द हमारे जुबा के खामोस होंगे,
कौन अपना कौन पराया हर भेदभाव उसदीन मिट जाएगा,
जिसदीन मेरा मन परमात्मा से मिल जाएगा, ...