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ग़ज़ल "लाचार बशर"
मेरा मत देखो अपना घर देखो
टूट कर गिर रहा शजर देखो

इक अलग ही मज़ा है हारने का
अपनों से बाज़ी हार कर देखो

झूठ तो बोलते ही आए हो
सच भी इमरोज़ बोल कर देखो
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