...

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मिलता हूं वहीं कहीं
बारिश ने मुझ को गर चाहा होता
सहराओं में यूँ न मैं, ज़ाया होता.............!

कुछ अश्क होते कुछ यादें होती
इक बार जो' गले से लगाया होता...........!

मिलता हूँ वहीं कहीं, आज भी
काश तू भी वहाँ तक, आया होता...........!

रात में दिखा सब को दीवार की तरहा
दिन होता अगर, मैं छाया होता..............!

कोई रुकता नहीं, किसी के रोके
अंधेरों में' न किसी का साया होता..........!


© samrat rajput

#Gazal #Barish #sahra #Waqt